Sunday, August 15, 2010

आओ खेलें दुल्हा दुल्हन

कहते हैं कि शादी-ब्याह कोई गुड्डे-गुड़ियों का खेल नहीं होता है। लेकिन आज कल तो यह खेल-तमाशा ही बनता जा रहा है। कुछ लोगों ने इसे खेल बना दिया है। इनके लिए शादी और खेल में ज्यादा अंतर नहीं है। खेल की तरह ही इसमें पैसा है, मनोरंजन है और ग्लैमर भी है। इसमें भी मीडिया कवरेज है और खेलों की तरह मैच फिक्सिंग का खतरा भी।

करीब साल भर पहले एक शो आया था राखी का स्वयंवर लेकिन शो के अंत में पता चला कि शादी तो होगी ही नहीं। फिर एक दूसरा शो आया राहुल दुल्हनियां ले जाएगा। इसके प्रचार में कहा गया कि सिर्फ स्वयंवर ही नहीं शादी भी। और शादी हो भी गई। लेकिन कुछ महिने बाद ही खेल में एक नया मोड़ आ गया। राहुल की दुल्हनियां डिम्पी में राहुल पर पिटाई का आरोप लगाया। यह आरोप राहुल के लिए नया नहीं है, राहुल की पहली पत्नी ने भी ऐसा ही आरोप लगाया था और बाद में उसने राहुल को तलाक दे दिया था।

मीडिया को जैसे ही इसकी भनक लगी इस खबर के मैराथन प्रसरण में लग गई। कई विशेषज्ञ बैठ गए और कई एंगल से इस खबर का विश्लेषण होने लगा। आखिर मीडिया इतने अच्छे कैच (खबर) को कैसे छोड़ सकती थी। इसमें मशाला और मनोरंजन तो था ही साथ ही इस कैच को ड्रॉप करने का मतलब था टीआरपी रूपी कप से हाथ धो बैठना।

पहले तो राहुल पर तमाम तरह के आरोप लगे। फिर कुछ लोगों ने डिंपी पर भी आरोप लगाया कि डिंपी कोई दूध की धुली नहीं है। आखिर राहुल का चरित्र तो किसी से छुपा नहीं था। फिर ऐसे में डिंपी ने रिस्क क्यों लिया। क्या इसके पिछे पैसा और शोहरत की भूख थी। हो सकता है कि इस खेल के पीछे भी कोई खेल हो। इसका खुलासा हो सकता है बाद में हो। लेकिन जिस दिन भी यह हुआ मीडिया को फिर एक मशाला मिलेगा। राष्ट्रहित के मुद्दे फिर गौण हो जाएंगे, और दर्शक एक बार फिर ठगे जाएंगे। क्योंकि वर्तमान दौर में ठगे जाना ही दर्शकों की नियती हो गई है।

एक बार डीयू में प्रभाष जोशी जी ने पत्रकारिता के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि आज स्वयंवर दिखा रहे हो कल तुम्हें प्रसव दिखाना होगा। प्रभाष जी टीवी पर आ रहे ऐसे प्रोग्रामों से काफी खिन्न थे। अगर चैनलों का बस चले तो शादी क्या सुहागरात और प्रसव सब कुछ दिखा देंगे। क्योंकि उनका सिद्धांत ही हो गया है कि सब कुछ खेल है और इस खेल में सब कुछ बिकता है।

7 comments:

  1. वर्तमान दौर में ठगे जाना ही दर्शकों की नियती हो गई है।
    — aapkaa ek behatreen comment.

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  2. ब्लागजगत पर स्वागत है

    धन और शोहरत की होड़ ही आज समाज को यहां ले आई है....आगे कहां तक जाना है...क्या पता

    आपका भी स्वागत है यहां
    http://veenakesur.blogspot.com/

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  3. अभी देखो आगे आगे होता है क्या?

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  4. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  5. शादी, अरे भाई ये वो लड्डू है जो खाए वो पछताए, जो न खाए वो भी पछताए. वैसे ये हमारे बुजुर्ग जन कह गए हैं. लेकिन हमारे स्वर्गीय प्रमोद महाजन जी के बेटे राहुल महाजन के लिए तो यह मात्र खेल ही है. पहले तो वह श्वेता सिंह, (जो पहले महाजन थी) अब डिम्पी गांगुली महाजन, लेकिन हुआ क्या वही ढाक के तीन पात वाली बात सत्य हो गई. वो कहते हैं ना की पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते है. जब तक उनके पिता रहे पाँव नहीं दिखे, लेकिन उनके जाने के बाद ही ड्रग्स और मारपीट के न जाने कितने खेल सामने आये. अब वह तो खेल खेलते ही हैं इसमें कोई नयी बात नहीं है अभी हाल में ही डिम्पी के साथ एक भयानक खेल खेल दिया बात मीडिया तक पहुंची. इससे पहले भी वो पायल के साथ भी खेल खेल चुके हैं. उनके खेल अलग ही महिमा हैं. उनके नवीन विकसित इस खेल को राष्ट्रीय खेल का दर्जा मिलना चाहिए. इसीलिए कहते हैं खेलते कूदते रहो भाई कब तुम्हारा भी स्वयंवर हो जाये. कब आप भी टीवी पर दिख जाये.

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  6. is dulha dulhan ke khel me baratiyon ka mahatva bhi koi kam nahi.TV screen se chipak kar ham is nautanki ka bhav aur badha diye the.

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