Friday, September 10, 2010

सफेदपोशों का खेल

भद्रजनों के खेल कहे जाने वाले क्रिकेट को क्या हो गया है। लगता है सफेद कपड़ों में खेले जाने वाला खेल (अब सफेद कपड़े में केवल टेस्ट मैंच ही खेला जा रहा है) सफेदपोशों का खेल बनता जा रहा है। पिछले दिनों पाकिस्तान के सात खिलाड़ियों का नाम मैच फिक्सिंग में सामने आया। यह पहला मौका नहीं है जब मैच फिक्सिंग का मामला सामने आया है, लेकिन इस बार स्पॉट फिक्सिंग के रूप में एक नया मामला सामने आया है। पहले खिलाड़ी पैसे लेकर खराब खेलते थे लेकिन अब यह भी तय होने लगा कि कौन सा बॉलर पहला ओवर डालेगा और ओवर की कौन सी डिलीवरी नोबॉल होगी।

लेकिन पाकिस्तान की प्रतिक्रिया देखिए उसे तो हर गलत काम के पिछे भारत की साजिश ही नजर आती है। चाहे लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेटरों पर हमला हो या पाकिस्तान में बाढ़ हो या फिर मैच फिक्सिंग में उनके खिलाड़ियों का फंसना। जब आईसीसी ने पाकिस्तान के तीन खिलाड़ियों को निलंबित किया गया तो उसपर भी पाकिस्तान ने कहा कि भारत पाकिस्तान में क्रिकेट को तबाह करना चाहता है। लंदन में पाकिस्तानी उच्चायोग के एक अधिकारी ने तो आईसीसी अध्यक्ष शरद पवार पर मुकदमा करने की भी धमकी दे डाली।

इससे पहले भी पाकिस्तान के कुछ खिलाड़ी मैच फिक्सिंग की फांस में फंस चुके हैं। पाकिस्तान अगर समय रहते इसके लिए कोई ठोस कदम उठाता तो शायद क्रिकेट कलंकित नहीं होता। बात यहां सिर्फ किसी खास देश के खिलाड़ियों के फंसने की नहीं है बल्कि पूरे खेल के दागदार होने की है। पाकिस्तान के हालात अच्छे नहीं हैं। पाकिस्तान जाकर कोई देश खेलना नहीं चाहता। श्रीलंका के शेरों ने कुछ हिम्मत दिखाई भी थी तो उनका स्वागत गोलियों से हुआ। इसके बाद वर्ल्ड कप का आयोजन भी पाकिस्तान से छिन गया। इस पर भी उसने भारत पर ही आरोप लगाया था।

पाकिस्तान की क्रिकेट भी राजनीति का शिकार हो गई है। किसी भी खिलाड़ी का स्थान सुरक्षित नहीं है। कप्तान दर कप्तान बदले जाते हैं। वरिष्ठ खिलाड़ी भी बड़े बेआबरू होकर बाहर टीम से बाहर निकाले जाते हैं। ऐसे में खिलाड़ियों को जब टीम में मौका मिलता है तो दौलत और शोहरत के भूखे खिलाड़ियों को फिसलने में देर नहीं लगती। ऐसे में पाकिस्तान अपने यहां के हालात सुधारने के बारे में सोंचे। हर बात में भारतीय साजिश की शुतुरमुर्गी सोंच से ऊपर उठे। तभी देश का भला होगा। अभी तो तीन क्रिकेटरों पर प्रतिबंध लगा है, ख़ुदा ना करे कि कहीं पूरी टीम पर ही प्रतिबंध न लग जाए। एक तो पाकिस्तान भ्रष्टाचार के आरोपों से परेशान रहा है। पाकिस्तान में आतंकवाद और बाढ़ की आपदा बड़ी तबाही मचा रही है। ऐसे में सरकार की उदासीनता और आपदा के समय राष्ट्रपति के यूरोप भ्रमण के कारण देश की छवि पहले से ही गिरी है दूसरे अगर और अगर ऐसा हुआ तो उस देश की कितनी बदनामी होगी और इस दाग को धोना बड़ा मुश्किल होगा।

दूसरे देशों के खिलाड़ियों का नाम जब मैच फिक्सिंग में आया तो उन पर वहां के बोर्डों ने कार्यवाही की लेकिन पाकिस्तान को तो पहले सबूत चाहिए और पाकिस्तान की तो यह नियती हो गई है कि कितने भी सबूत दे दो उससे उसका पेट नहीं भरता। पिछले वर्ड कप में ही तो आयरलैंड के खिलाफ मैच में पाकिस्तान की शर्मनाक हार के बाद बवाल मचा था कहा गया कि मैच फिक्स थी। मैच के बाद टीम के कोच बॉब वूल्मर संदिग्ध परिस्थितियों में अपने होटल के कमरे में मृत पाए गए उस घटना की न तो गुत्थी सुलझी और न तो पाकिस्तान ने उससे कोई सबक लिया। शायद पाकिस्तान की सोंच ही हो गई है कि बदनाम हुए तो क्या नाम तो हुआ।

1 comment:

  1. Bilkul sahi farmaya hai bhaijan. Ab khel ke pichhe dusara khel hota hai.commonwealth ko hi dekh lijiye kaise kaise khel ho rahe hai is khel ke pichhe.

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