Thursday, September 23, 2010

अयोध्या मुद्दे पर सबकी नजर

कल अयोध्या मामले पर हाईकोर्ट का फैसला आना है। लेकिन इस संभावित फैसले की आहट पहले से ही सुनाई देने लगी है। हर तरफ इसको लेकर चर्चा की जा रही हैं। कहीं बेबाक तौर पर तो कहीं दबी जुबान में। इस फैसले को लेकर कई सवाल भी हैं जैसे कि जिस समुदाय के विपक्ष में यह फैसला जाएगा वह इसे मानेगा या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा? दूसरा कि फैसले के बाद माहौल कैसा रहेगा। इसी बात को लेकर बहुत सारे लोग चिंतित हैं। हालांकि कुछ लोगों ने फैसला टलवाने की कोशिश भी की थी लेकिन अंतत: ऐसा कोई भी प्रयास सफल होता नहीं दिख रहा है।

देश अभी कई समस्याओं से जूझ रहा है। कश्मीर के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं, देश के किसी हिस्से में बाढ़ तो किसी हिस्से में सूखा तबाही मचा रही है। नक्सली हिंसा और महंगाई की समस्या तो पहले से ही मुंह बाए खड़ी है। ऐसे में इस फैसले के बाद अगर माहौल को अगर जरा भी बिगड़ने दिया गया तो देश गलत दिशा में जा सकता है। हालांकि ऐसी कम ही संभावना है लेकिन उपद्रवी और फिरकापरस्त लोग हर जगह होते हैं और ये हमेशा मौके की ताक में रहते हैं। इसका एक उदाहरण इन दिनों एसएमएस के जरीए धार्मिक भावना भड़काने की की जा रही कोशिश है। हालांकि एक सुखद बात ये भी है कि एक तबका ऐसा भी है जो संदेश माध्यमों के जरीए भाईचारा बढ़ाने की बात कर रहा है।

अयोध्या विवाद काफी पुराना है। इस विवाद के इतिहास में तो मैं नहीं जाऊंगा लेकिन 89 में मस्जिद का ताला खुलना, कारसेवा का शुरू होना, मुलायम सरकार के दौरान कारसेवकों पर गोलीबारी, आडवाणी की रथ यात्रा और बाबरी मस्जिद का विध्वंस आदि की कुछ धुंधली तस्वीरें मेंरे जेहन में हैं। हजारो ऐसे बेगुनाह जिनके जीवन पर मंदिर-मस्जिद के बनने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था इस विवाद के कारण हुए दंगों की भेंट चढ़ गए। हर महिने लाखों-करोड़ रूपये सिर्फ विवादित स्थल की सुरक्षा में ही खर्च हो रहे हैं।

इस विवाद से कुछ हासिल तो नहीं हुआ हैं, उल्टे छीना ही बहुत कुछ है। जिन लोगों ने दंगे-फसादों के बीच डरे-डरे दिन बिताए आज भी इसके संभावित आहट से आज भी सहम जाते हैं। उस वक्त एक पटाखे के फूटना भी किसी बम विस्फोट सा लगता था। कहीं कोई हल्की शोर से भी लोग चौकन्ने हो जाते थे। आज भी मुझे याद है जब मैं स्कूल में था तभी कहीं किसी गाड़ी के टायर फटने से भगदड़ मच गया और हमें पीछे के रास्ते से सुरक्षित निकाला गया था। मेरा बचपन एक मुस्लिम की गोद में खेलते हुए बीता। वो बंगाली थे और उनका व्यापार पास ही के बाजार में था। लेकिन दंगे की डर से वो एक बार जो लौटे फिर वापस ही नहीं आए। बाद में उन्होंने अपने करींदों के माध्यम से अपना व्यापार समेट लिया।

अयोध्या पर फैसले और उसके बाद के माहौल को लेकर भले ही शंका-आशंका हो लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि माहौल बिगड़ेगा नहीं। तब से अब तक सरयू में काफी पानी बह चुका है। तब के बच्चे जिन्होंने डरे-सहमें इस फसाद को देखा अब बड़े हो गए हैं ये काफी समझदार भी हैं। तब के उन्मादी अब अधेड़ हो चुके हैं और उनका उन्माद भी अब शांत पड़ चुका है। सामाजिक ताने-बाने में भी काफी बदलाव आया है। लोग खुद ही इतनी समस्याओं से घिरे हैं और महंगाई और भ्रष्टाचार जिससे वो रोज दो-चार होते हैं उसके विरोध में भी सड़कों पर नहीं उतरते हैं। लोग तो बस शांति चाहते हैं।

अयोध्या विवाद के समाधान को लेकर भले ही लोगों के मन में कोई संदेह हो लेकिन महाराजगंज के धुसवां कला गांव के निवासियों नें लोगों के सामने एक अनूठी ही मिसाल पेश की है। इस गांव में स्थित मलंग बाबा के दरगाह की चाहारदीवारी के निर्णाण के लिए जब नींव खोदी जा रही थी तो नीचे से शिवलिंग निकला। इसकी खबर पाते ही हिंदू वाहिनी के सदस्य वहां पहुंचने लगे। लेकिन गांव के हिंदुओं ने उन्हे साफ कह दिया कि नेता लोग चले जाएं, गांव के लोग खुद इस मामले में फैसला लेंगे। बाद में दोनों समुदायों के लोगों ने मिल बैठ कर फैसला लिया कि दरगाह के आधे हिस्से का जीर्णोद्धार होगा जबकि आधे हिस्से में शिव मंदिर होगा।

अभी तो हाईकोर्ट का फैसला आना है जैसाकि उम्मीद है कि आगे सुप्रीम कोर्ट में मामला जा सकता है। इस मामले ने अभी तक लोगों से जितना छीना है वो तो नहीं लौटाया जा सकता लेकिन अयोध्या धार्मिक एकता की मिसाल बन सकता है। बशर्ते अयोध्या के लोगों को ही मिल बैठकर इस विवाद को सुलझाने दें।

7 comments:

  1. कल 24 सितम्बर है ! कल को सिर्फ़ कल की ही तरह देखें...ठीक उस कल की तरह जो बीते कल में आज को देखा था...! हम कल ऐसे हालात से गुज़रेंगे जिसमें हमें सिर्फ़ एक ही चीज़ को दर्शाना बेहद ज़रूरी है... और वो है ... संयम और सब्र ! अगर हम ऐसा ना कर पाए तो देश एक फ़िर से 60 साल पीछे चला जाएगा. क्या हम चाहेंगे कि हमारे सब्र और संयम ना रख पाने की वजह से आने वाली पीढ़ी हमें गलियां दे... जैसे कि हम उनको कहते हैं जो हमारे पूर्वज थे जिनके बेहद गिरे हुए फैसलों ने हमें आजतक शर्मशार किया हुआ है. हमें किंचित मात्र भी जज़्बाती होने की ज़रूरत नहीं, और अगर आप वाक़ई जज़्बाती होना चाहते हैं तो देशहित में जज़्बाती होईये !

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  2. बहुत सही कहा सलीम खान साहब मैं आपसे पुर्णतः सहमत हूँ

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  3. divyansu ne bahut hi nazuk masle ko chhua hain. Bharat jaise des me jhan bhukhmri, berojgari, ashiksha aur garibi wyapak samasyayen hain, whan par eise muddon ki ahmiyat nhi honi chahiye.

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  4. सही कहा । सब को सद्भाव बना कर रखना है ।

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  5. अब हमें अयोध्या से आगे जाना होगा। लेकिन देश की सर्व धर्म समभाव की सनातन परंपरा के साथ।

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  6. आप ने सही कहा है कि अब तो फैसला आ भी गया है उस पर अभी पतिक्रियाँ भी आ चुकी है कुछेक नेताओ की भडकाऊ टिपण्णी भी आ चुकी है और बुखारी साहब भी लखनऊ में जाकर हाथापाई करके अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं खैर जनता जनार्दन अब समझ चुकी है ये सब राजनीतिक चोंचलेबाजी है|

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  7. बहुत संतुलित पोस्ट. अच्चा लगा.

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