Saturday, July 3, 2010

दो नावों की सवारी

शरद पवार आईसीसी के अध्यक्ष बन गए हैं। इस बात से खुशी भी होती है और दुख भी होता है। खुशी इस बात की है कि एक भारतीय इस संस्था का मुखिया है और दुख इस बात का है कि पवार साहब क्रिकेट देखेंगे या कृषि मंत्रालय। वह भारत में रहेंगे या विदेशों में। कृषि मंत्रालय से आम आदमी का हित जुड़ा हुआ रहता है, इसलिए चिंता होना स्वाभाविक है।
आगामी विश्व कप भारतीय उप महाद्वीप में ही होना है। ऐसे में पवार साहब का अध्यक्ष बनना अच्छी खबर है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अकसर एशियाई खिलाड़ियों के साथ पक्षपात होता है। उन्हें छोटी सी गलती पर भी बड़ी सजा दे दी जाती है। ऐसी परिस्थितियों में एक एशियाई अध्यक्ष के रहने पर बात कुछ और ही होगी।
लेकिन चिंता का विषय यह है कि जिस तरह से मंहगाई बढ़ती जा रही है। खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू रहे हैं। कालाबाजारी बढ़ती जा रही है। गोदामों और बंदरगाहों पर धान और गेहूं सड़ते रहते हैं और सरकार कुछ भी नहीं कर पा रही है। किसानों की आत्महत्या की घटना बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में आम जनता के सरकार राज में आम जन के हितों की अनदेखी कर खास लोगों के खेल में शामिल होना या किसानों का ख्याल न रखकर क्रिकेट का ख्याल रखना कहां तक जायज है?
पवार साहब पहले ऐसे व्यक्ति हैं जो एक ही साथ आईसीसी के अध्यक्ष और किसी सरकार में मंत्री भी हैं। आईसीसी एक धनवान संस्था है और इसका प्रसार धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। क्रिकेट मैंचों की भी संख्या भी बढ़ती ही चली जा रही है। ऐसे में अध्यक्ष होने के नाते उन्हें अधिक से अधिक समय विदेशी दौरे में बिताना होगा। आईसीसी का मुख्यालय भी विदेश में ही है। ऐसे में अगर क्रिकेट को ज्यादा समय देते हैं तो कृषि मंत्रालय के साथ अन्याय होगा और अगर मंत्रालय पर ध्यान देते हैं तो क्रिकेट के साथ न्याय नहीं होगा। आईसीसी का प्रशासक होना शुद्ध व्यावसायिक काम है तो कृषि मंत्रालय चलाना कल्याणकारी काम। अब पवार साहब पर ही निर्भर है कि वह पैसे को तरजीह देते हैं या लोगों के कल्याण को। कम से कम पवार साहब दो नावों की सवारी तो ना ही करें। भगवान के लिए वह क्रिकेट या किसान, दोनों में से एक को बक्श दें।

1 comment:

  1. sarad pawar agar icc ke chairman ban bhi gaye hai to isse bharat ko kya fayada hoga yah maloom nahi.par unka krishi mantralaya me bana rahana ab desh ke hit me to nahi hi hai.vaise to unke pas pahale bhi mantralaya ke liye samaya nahi tha .ab to ek bahana bhi hai. yaha gathbandhana dharma ki majboori hai or rajnitik vivashata ki aise log bhi mantri hai.

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