Friday, July 2, 2010

राजनीति में ताल ठोंकने के लिए तैयार एक और ठाकरे

ठाकरे परिवार की एक और पीढ़ी ने राजनीति में कदम रख दिया है। बाला साहब के पोते और उद्धव ठाकरे के लड़के आदित्य भी राजनीति के मैदान में कूद पड़े हैं। आदित्य ने मुंबई में पोस्टर लगवाया जिसमें महापुरूषों के नाम के साथ उनकी जाति लिखी हुई थी, जैसे- बाल गंगाधर ब्राह्मण तिलक, ज्योतिबा माली फुले आदि। इस पोस्टर में जाति आधारित जनगणना का विरोध करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा गया।
भारतीय विद्यार्थी सेना के लेटर हेड पर जारी बयान में आदित्य ने कहा कि शिवसेना हमेशा जाति आधारित राजनीति का विरोध करती रही है। शिवसेना ने मराठी माणुष के हितों के लिए हमेशा संघर्ष किया है। मराठी कोई जात या धर्म नहीं है। महाराष्ट्र में मराठी और हिंदुस्तान में हिंदुओं के हित के लिए शिवसेना लड़ती रही है इसलिए उसे जाति आधारित जनगणना मान्य नहीं है।
आगे आदित्य अपील करते हुए कहते हैं कि भारतीयता ही हमारा धर्म और जाति है। भारतीयता का झंडा हमें बुलंदी से फहराना है।
आदित्य ने एक गंभीर विषय को चुना है। आज के राजनीतिक दौर में जातियता, क्षेत्रियता और वंशवाद हावी हैं। अगर इन तीनों को हटा दिया जाए तो बड़े-बड़े दिग्गजों की राजनीतिक जमीन खिसक जाएगी। कोई ऐसा राज्य नहीं होगा जहां ये तीनों फैक्टर काम नहीं करते हों। लेकिन क्या आदित्य क्षेत्रियता और वंशवाद पर भी कुछ बोलेंगें? क्या वह मराठी और गैर मराठी की राजनीति को रोक पाएंगे? एक तरफ तो वह भारतीयता को अपना धर्म बतलाते हैं लेकिन साथ ही यह भी कहना नहीं भूलते कि शिवसेना ने महाराष्ट्र में मराठियों और हिंदुस्तान में हिंदुओं के लिए संघर्ष करती है। आदित्य मराठी और गैर मराठी या हिंदु-मुस्लिम से ऊपर क्यों नहीं उठ पाए? आदित्य अगर सब को साथ में लेकर चलने की बात करते तो उसका ज्यादा स्वागत होता। आखिर 19 वर्षीय युवा और संत जेवियर कॉलेज के छात्र से तो इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है।

1 comment:

  1. aaj ke neta putra bhi apane bap ki virashat ko sambhalne ke alave khuchh aur sachata bhi nahi hai.think out of box unko nahi bhata.

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