Saturday, March 19, 2011

होली- कुछ यादें कुछ गीत

आठ साल हो गए गांव की होली में शरीक हुए... अब तो सिर्फ कुछ यादें ही बची हैं... बचपन में होली का हुड़दंग और बच्चों की टोली के साथ होली खेलने निकलना... लोगों पर रंग डालना और होली है का जयघोष.. ऐसे लोग खास निशाना बनते थे जो रंग से दूर भागते थे।

घर में तरह-तरह के पकवान जैसे पुए,कचौड़ी,आलूदम,दहीबड़े और न जाने क्या-क्या... होली में घर से दूर रहते हुए आखिर धीरे-धीरे कुछ पकवान बनाना सीख ही गया लेकिन इसमें मां के हाथों का जादू और गांव की सोंधी खुशबू नहीं ला पाया...

हमारे गांव में होली के एक दिन पहले लोग धूल और मिट्टी खेलते हैं इसे धुड़खेल कहा जाता है, होली के रोज दिन में रंग खेलते हैं और शाम में नहा धोकर लोग अबीर खेलने निकलते हैं... बड़ों के पैर पर अबीर रखकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है और छोटों,मित्र और हमउम्रों के गाल में अबीर लगाया जाता है....

एक बात और अखड़ती है वह है जोगीरा और होली गीत... जोगीरा में तो गांव के लोगों के बारे में और समकालीन घटनाओं को ही गीतों में पिरो दिया जाता था... शुरू और अंत में जोगीरा सर रर, सर रर रे बराबर सर रर... महीने भर पहले से ही होली गाना शुरू हो जाता है... गीत शुरू में धीमा होता है और धीमें-धीमें आगे बढ़ता है और अंत तक यह काफी जोशीला हो जाता है... इसे देखना और सुनना काफी अच्छा लगता है... अगर आप नहीं भी गा रहे होते हैं तब भी बदन बरबस थिरक उठता है...

होली गीत कई तरह के होते हैं.... इसमें भक्ति, रामायण, महाभारत, कृष्ण लीला, श्रृगांर प्रधान गीत होते हैँ... सबसे पहले भक्ति गीत से शुरुआत की जाती है... कुछ गीत प्रश्नोत्तर शैली में होते हैं.. ऐसा ही एक होली गीत है जो किसी देवस्थान में जाकर सबसे पहले गाया जाता है...


मंदिर के खोलो किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
मंदिर के खोलो किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
ठाढ़े दुनिया दर्शन को हो ठाढ़े दुनिया दर्शन को
मंदिर के खोलो किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
काथि के मंदिरा बने हो काहे के मंदिरा बने
कथि लगे केवाड़, माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
मंदिर के खोलो किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
पत्थर के मंदिरा बने हो पत्थर के मंदिरा बने
चंदन लगे केवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
मंदिर के खोलो किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
कहे ल मंदिरा बने हो कहे ल मंदिरा बने
काहे लगे किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
मंदिर के खोलो किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
पूजा ल मंदिरा बने हो पूजा ल मंदिरा बने
फाटक लगे किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को
मंदिर के खोलो किवाड़ माता ठाढ़े दुनिया दर्शन को

एक गीत कृष्ण लीला से...


कहां अटके, कहां अटके बनवारी सखी हो कहां अटके
कहां अटके, कहां अटके बनवारी सखी हो कहां अटके
खोजत फिरत मां तू जशोदा, घर-घर करत पूछारी
कारण कौन नाथ नहीं आए कंषन के डर भारी
कहां अटके, कहां अटके बनवारी सखी हो कहां अटके
झुंड के झुंड सखि सब आए, पढ़त जशोदा के गारी
मोर मटुकिया फोड़ दियो है, फाड़ दियो तन साड़ी
कहां अटके, कहां अटके बनवारी सखी हो कहां अटके
बिलखल-बिलखल मोहन आए, नैना नीर बहाए
मोर मुरलिया छीन लियो है सखियन सब मिल सारी
कहां अटके, कहां अटके बनवारी सखी हो कहां अटके
आचल ओट हंसे सखियन सब, देखो प्रभु की चतुराई
सूरदास प्रभु तुमरे दरस को तुम्हीं जीते हम हारी
कहां अटके, कहां अटके बनवारी सखी हो कहां अटके
अंत में सबों को होली की ढेर सारी शुभकामनाएं... दुनिया से भय,भूख और भ्रष्टाचार की होलिका जले और लोगों का जीवन नए-नए रंगों से रंगीन हो... होली मुबारक।